Sunday, May 27, 2012

" निषेध ......"


















" निषेध ......"
क्या  राजा  क्या  रंक
क्या  साँझा  क्या  जंग
सब  वर्चस्व  की  जद्दोज़हद  है ...!!
क्या  सही  क्या  ग़लत
क्या  उलट  क्या  पलट
सब  वैमनस्यता में  सना शहद  है ...!!
क्या  हिंसा  क्या  अहिंसा
क्या  सुकूं  क्या  चिंता
सब  अधरों  से  उगलता  खेद  है ...!!
क्या  क़ब्र  क्या  चिता
क्या  लिखा  क्या  मिटा
सब  रंगों  में  काला  सफ़ेद  है ...!!
क्या  प्रेत  क्या  बशर
क्या  रात  क्या  सहर
सब  ज़िन्दा  है  ज़िन्दगी  निषेध  है ...!!!!

रंगीन  कूचे  हैं  चौपट  चौबारे   हैं ...
झूठे  से  चूल्हे  है  रोटी  से  हारे  हैं ...
महलों  के  जमघट  ने  रस्ते  सँवारे  हैं ...

क्या  सफ़र  क्या  डगर
क्या  मदद  क्या  नज़र
सब्र  टूटा  है  आरम्भ  निषेध  है ...!!!!!!


********** विक्रम  चौधरी ***********