ख़ुदा ..
या ख़ुदा इस नाम की ज़ेरो ज़बर मुझको बता ..
पुण्य के फल में ख़ुदा और पाप में भी है ख़ुदा ..
हर एक सही हर एक ग़लत के हाल में शामिल ख़ुदा ..
है रिंद की फ़रियाद में पाखण्ड में भी है ख़ुदा ..
है गूँज के परवाज़ में और मौन में मद्धम ख़ुदा ..
काग़ज़ पे कलमों सा बयां हाफ़िज़ कलम भी है ख़ुदा ..
नोटों पे जीभों से चटे बे - क़ायदा भी है ख़ुदा ..
चारों दिशा चारों पहर चौकोर सा दिखता ख़ुदा ..
कोने पकड़ में चल पड़ा और गोल बन बैठा ख़ुदा ..
है मर्म के आग़ाज़ में दर्द - ए - दफ़न भी है ख़ुदा ..
बच्चे के खिलते होंठ पर तितली सा उड़ता है ख़ुदा ..
अबला के लुटते जिस्म पर बिजली सा गिरता है ख़ुदा ..
है सुखन की चोट में मरहम उधारी का ख़ुदा ..
जाहिल की बातों के असर में दम भरे दिन भर ख़ुदा ..
फ़सलों की पहली भोर में बंजर ज़मीं पर भी ख़ुदा ..
फ़िर्दौस की खिड़की से ताकता है मदारी सा ख़ुदा ..
झगड़े फ़सादों की सुराही में बने मदिरा ख़ुदा ..
शाही सा बैठा तख़्त पर निर्बल के बिगड़े वक़्त पर ..
रस्साकसी के खेल में दर्शक बना है ये ख़ुदा ..
है ख़ुदा हर अक्स में शीशे में झूठा भी ख़ुदा ..
लफ़्ज़ों के उलझे जाल में उलझा गया मुझको ख़ुदा ..
या ख़ुदा इस नाम का मतलब असल मुझको बता .....
***************** विक्रम चौधरी *****************************