" आज़ादी "
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
फूल के खुद - ब - खुद टूटने की आज़ादी
सहरा के खुद - ब - खुद फूटने की आज़ादी
पंछी के खुद - ब - खुद उड़ने की आज़ादी
शब्द से तहज़ीब के जुड़ने की आज़ादी
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
अम्न - ओ - फ़िज़ा में दिल धड़कने की आज़ादी
बच्चे के रोने पे माँ के तड़पने की आज़ादी
सीने की आह को सुलगने की आज़ादी
लेम्प पोस्ट से इश्तेहार छटकने की आज़ादी
भीड़ में अखबार सा बनने की आज़ादी
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
तो जाओ कहीं से ले कर आओ
मेरे गुस्सा होने पर मेरे चिल्लाहने की आज़ादी
मेरे इन्सां दिखने पर मेरे इन्सां होने की आज़ादी
खुली सड़कों पे अबला के बेख़ौफ़ चलने की आज़ादी
सस्ते ईमां को तड़ीपार करने की आज़ादी
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
बिकते जिस्मों के सौदे तबाह करने की आज़ादी
अक्ल के मुद्दे पे शक्लों की फ़ेहरिस्त से आज़ादी
हवस के कुओं को पत्थर से भरने की आज़ादी
जुबां के चलने पे बहती सिफ़ारिश से आज़ादी
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
सुबह के खिलने पे जी भर के जीने की आज़ादी
बुरी आदत पे शर्मसार होने की आज़ादी
वतन को काग़ज़ से छुड़ा कर दिल पे लिखने की आज़ादी
ज़मीं के दामन से सरहद को मिटा देने की आज़ादी
कुछ और नहीं माँगा है मैंने
मांगी है बस अपने हक़ की आज़ादी ....
******************** विक्रम चौधरी *****************************
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