" ज़िन्दगी ...."
ज़िन्दगी एक शमशीर है
जीने पर भी तहरीर है
झोली भर दर्द नसीर नहीं ,
दम नौचती तक़दीर है .....
हाथों पर जो लक़ीर है
कर्मों की तस्वीर है
छूने भर को प्यास नहीं ,
थूंको तो लार अधीर है .....
लिहाफ़ में छुपती भीड़ है
दीन दरीचा नीड़ है
खोने भर को साँस नहीं ,
सूँघो तो हाल फ़क़ीर है .....
सीरत बेबस ताबीर है
सूरत बहकी तासीर है
ढोने भर को शर्म नहीं ,
घुटनों तक हार नज़ीर है .....
इन्सां एक भरम शरीर है
सतरंगी फ़न का नीर है
दिखने भर को दौड़ नहीं ,
पूछो तो अटल वज़ीर है .....
ज़िन्दगी एक शमशीर है
जीने पर भी तहरीर है
झोली भर दर्द नसीर नहीं ,
दम नौचती तक़दीर है .....
******** विक्रम चौधरी *********
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