" ख़ाब एक सच ....."
चुपके से मोती उगलती सीपी को रेत में दबा दिया ...
दरवाज़े की दरारों से सटे दीमक के घर को
पानी से भीगा दिया ....
चीटियों की बढ़ती सीधी कतार को अपनी घोड़ा गाड़ी से
बे कतार बना दिया ....
छत पर पड़े मटर के दानों में मिर्ची मिला कर
गिलहरी को रुला दिया ....
लकड़ी को हड्डी बना कर कुत्ते को ललचा कर
दीवार से कुदा दिया ....
और मछली को चारा दिखा कर काँटे में फँसा लिया ....!
अचानक पैर फिसला , ख़ाब टूटा ... तो देखा ,....
किसी ने मेरे कपड़ों से जेब छुड़ा कर
अपना थैला बना लिया है ....
मैं देखता रहा और उसने देखते ही देखते
मेरा सब कुछ चुरा लिया ....!
जेब में रखे पक्षी के पर , मोती , घोड़ा गाड़ी ,
मिर्ची की डिब्बी , लकड़ी के टुकड़े और पानी
की पिचकारी सब एक एक करके ज़मीन पर बिखर गए ...!
मोती अपनी सीपी ढूँढने लगा ...
पर अपना घौंसला तलाशने लगे ...
दीमक के घर का पानी सूख गया ...
गिलहरी को नए मटर मिल गए ...
मछली के भी नए धारे खिल गए ...
कुत्ता भी लकड़ी के टुकड़ों का खेल समझ गया ...
और चीटियों ने भी फिर से अपनी नयी कतार बना ही ली ...!
मैं अधूरा सा पड़ा ख़ाब के ख़त्म होने पर ख़ुद को कोस रहा था ...
और शायद ख़ाब में की ग़लतियों को हक़ीक़त में भोग रहा था ....!
तिनका तिनका रिस रहा था अपनी आँखों से मैं ...
जो बह रहा था वो आँसू था ये जान नहीं पाया मैं अभी तक ...
जो घुल रहा था वो मैं था , बिना धुँए के ही सुलग रहा था ....!
शिकन ना पड़ जाए माथे पर कोई देख ना ले कि मैंने कोई ख़ाब देखा था ...
इसलिए सुबह तड़के ही नहा कर आँगन में धूप सेक रहा था ....!
कि इतने में ही एक पक्षी ने आ कर पूछ ही लिया ...
कल रात जो पर चुराया था वो तो लौटा दो ...
कल रात से मेरे बच्चों ने कुछ नहीं खाया ...
मेरे पर तो तुमने चुरा लिए और मैं एक एक तिनका ...
दूसरे पक्षियों की चोंच में देख कर अफ़सोस करती रही ...
काश तुम मेरे पर ना चुराते तो मेरे बच्चे भूख से ना मरते ...!!
मैं शब्दहीन था उसकी बातों पर , हैरान था अपनी क़ुदरत पर ....
जैसे ही बस पलट कर पक्षी के लिए दाने लेने को मुड़ा तो देखा ....
कि बारी बारी सब अपना हिसाब माँगने चले आ रहे हैं ...
अब ख़ाब का बदज़ात चेहरा सच हो कर मुझपे हैरां हो रहा था ...!
ना जाने ये ख़ाब था या मेरा दोहरा चरित्र
जो मेरे ना चाहते हुए भी मुझमें ज़िन्दा हो रहा था ......................!!
**************************** विक्रम चौधरी *******************************
1 comment:
Wahhhh bahoot khoob...
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